बिहार मे कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए मुख्यमंत्री ने राज्य में रहनेवाले हर परिवार को साबुन और चार मास्क देने का निर्देश अधिकारियों को दिया था. इसके लिए सभी पंचायत के मुखिया को 9.10 रूपए दिए जाएंगे.. मुख्यमंत्री ने निर्देश के बाद ग्रामीण इलाकों में कैसे मास्क और साबुन का वितरण होगा. इसको लेकर गाइड लाइन जारी कर दी.गाइड लाइन के मुताबिक साबुन की कीमत अधिकतम 20 रुपये होगी, जिसकी खरीद मुखिया की ओर से स्थानीय बजार से की जाएगी. इसके अलावा मास्क की कीमत अधिकतम 20 रुपये तय की गयी है. चार मास्क हर परिवार को देने हैं, इसके मुताबिक 80 रुपये तक के मास्क दिये जा सकते हैं. इनकी खरीद जीविका या फिर खादी भंडार से करने का निर्देश दिया गया है. गाइड लाइन में लिखा गया गया है कि अगर दोनों जगह मास्क नहीं मिलें, तो मुखिया पंचायत में ही मास्क बनवा सकते हैं. इसके अलावा कहीं और से मास्क की खरीद नहीं की जानी है.अब ऐसे मे सवाल उठता है की मुखिया के द्वारा किया जाने वाला काम मे कितनी पारदर्शिता होगा, चुकी हम बिहार की बात करें तो मुखिया और उनके सहयोगी के ऊपर हमेशा घोटाले का आरोप लगते आया है...बिहार सरकार के इस फैसले को लेकर पटना हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील व PIL एक्सपर्ट मणि भूषण प्रताप सेंगर ने सरकार से पुनर्विचार करने की मांग की...इसके लिए उन्होंने सरकार को चिट्ठी भी लिखी है......
सेवा में,
माननीय मुख्यमंत्री,
श्री नीतीश कुमार जी
नमस्कार।
विषय:-बिहार के हर एक पंचायत को वर्तमान इस कोरोना संकट में जनता के सहयोग एवं राहत के लिए उस पंचायत को जो ₹9,10,000 अथवा अन्य कोई भी राशि पंचम वित्त आयोग के अंतर्गत अनुमोदित राशि से जो राशि देने का निर्णय लिया गया है उस पर पुनर्विचार हेतु।
जहां तक मेरी धारणा है और मैं जानता था कि हमारे माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी सुशासन के पक्षधर हैं। वह जीरो टॉलरेंस विद करप्शन के रणनीति पर चलते हैं ।फिर मुझे समझ में यह नहीं आता क्योंकि वह भी कोई ऐसा नहीं है कि अमेरिका के रहने वाले हैं। वह भी एक ग्रामीण परिवार से ही निकले हैं ।और बिहार के ही हैं। और गांव में मुखिया और पंचायत के स्तर पर क्या किया जाता है। वह उन से नहीं छिपा हुआ है ।फिर भी अभी जैसे विषम परिस्थिति में जब लोगों को आम जनता को गांव गांव के हर एक घर घर में राहत और सहयोग की आवश्यकता है । और जो बात है मीडिया के माध्यम से पता चलती हैं और जैसा पता चला है तो यह पैसा और कोई भी अन्य राशि जो पंचम वित्त आयोग के माध्यम से अथवा मुख्यमंत्री राहत के माध्यम से राहत के लिए इस पंचायत को देना कहां तक जनहित में है ।
क्योंकि यह किसी से छुपा हुआ नहीं है कि पंचायत में किस स्तर की भ्रष्टाचार होती है ।मुखिया एवं अन्य लोगों के द्वारा।
यही सब कारण है जो कभी-कभी माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी पर शक करने के लिए मजबूर कर देती है कि कहीं वह भी केवल सुशासन का दिखावा तो नहीं करते।क्योंकि मैं यह बात नहीं छुपाऊंगा भले ही मैं सरकार की आलोचना करता हूं लेकिन वास्तविकता में मुझे कहीं ना कहीं माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी एक अच्छे व्यक्तित्व दिखते हैं जनहित के बारे में सोच को लेकर।
लेकिन इन सब तरीकों का उनका निर्णय मुझे दुविधा में डाल देता है क्योंकि सच्चाई से वह अच्छी तरह से वाकिफ है।
धन्यवाद।
मणिभूषण प्रताप सेंगर।
अधिवक्ता।
पटना उच्च न्यायालय।
ब्यूरो रिपोर्ट :राज कृष्णन
प्लस न्यूज़, पटना
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